एक अप्रैल से महंगे हो सकते हैं खाद्य तेल!
नईदिल्ली। चालू रबी सीजन में तिलहन फसलों के रकबे में रिकॉर्ड बढ़ोतरी होने के कारण इस बार रिकॉर्ड उत्पादन का भी अनुमान लगाया जा रहा है। जिसका असर खाद्य तेल की कीमतों पर पड़ेगा। हालांकि तेल कारोबारियों का कहना है कि इस साल खाद्य तेल की कीमतें कम नहीं, बल्कि बढ़ सकती है। क्योंकि एक अप्रैल से खाद्य तेलों का आयात महंगा हो जाएगा जिसका असर घरेलू बाजार पर पड़ेगा। तिलहन फसलों की लहलहाती फसल इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ती दिखाई दे रही है। तिलहन का रकबा 105.52 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है। जो सामान्य रकबा और औसत क्षेत्र से अधिक है। तिलहन का सामान्य क्षेत्र 78,81 लाख हेक्टेयर है और पिछले पांच साल का सामान्य क्षेत्र 84 लाख हेक्टेयर हैं।
तिलहन फसलों में सरसों की रिकॉर्ड बोआई ने इस बार तिलहन उत्पादन के आसार बढ़ा दिये हैं। देश में अभी तक सरसों की बोआई रिकॉर्ड 96.85 लाख हेक्टेयर हो चुकी है। जो सरसों के सामान्य रकबे 63.46 लाख हेक्टेयर से 33.39 लाख हेक्टेयर अधिक है जबकि पांच साल के औसत क्षेत्र 73.64 लाख हेक्टेयर की तुलना में 23.21 लाख हेक्टेयर अधिक है।
पिछले कुछ महीनों से खाद्य तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, उसकी वजह सस्ता आयातित खाद्य तेल है। ऐसे में घरेलू किसानों ने उच्च उपज वाली सरसों की रिकॉर्ड बोआई की है। जिससे खाद्य तेलों के और सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई। हालांकि खाद्य तेल कारोबारियों की मानें तो अप्रैल से कीमतें एक बार फिर बढ़ेगी क्योंकि भारत की खाद्य तेल की मांग आयात पर टिकी है। भारत अपनी जरूरत का करीब 60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है।
दरअसल विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, टीआरक्यू के अंतर्गत कच्चे सोयाबीन तेल के आयात की अंतिम तिथि संशोधित कर 31 मार्च 2023 तक दी गई है। इसके बाद 2023-24 के लिए कच्चे सोयाबीन तेल के आयात पर टीआरक्यू नहीं मिलेगा सरकार ने इससे पहले कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल को घरेलू कीमतें नियंत्रित करने के लिए इनके 20-20 लाख टन सालाना आयात पर सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना उपकर की छूट प्रदान की थी। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष खाद्य तेलों के दामों पर अंकुश लगाने के लिए बिना शुल्क के सूरजमुखी एवं सोयाबीन के कच्चे तेलों को टीआरक्यू कोटा के तहत आयात करने की जो अनुमति दी थी। स्थानिक बाजारों में खाद्य तेलों के दाम काबू में आ गए हैं। इसलिए सरकार ने अब कच्चे सोयाबीन तेल को शून्य शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) के तहत आयात बंद करने का फैसला किया है। टीआरक्यू भारत में निश्चित या शून्य शुल्क पर आने वाले आयात की मात्रा का कोटा होता है। कोटा पूरा होने के बाद अतिरिक्त आयात पर सामान्य शुल्क दर लागू होती है।
इस निर्णय से सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की कीमतें मार्च के बाद से बढ़ सकती हैं। अभी जो आयात किया जा रहा है उसमें किसी प्रकार का सरकारी शुल्क नहीं दिया जा रहा है। वही कोटा खत्म होने के बाद से सरकारी शुल्क दोबारा से लागू कर दिया जाएगा जिसके फलस्वरूप आयात महंगा होगा। दूसरी तरफ सोयाबीन के सबसे ज्यादा उत्पादक देश अर्जेंटीना और ब्राजील में मौसम शुष्क होने के नाते फसल कमजोर आने की आशंका जताई जा रही है। सूरजमुखी के सबसे बड़े उत्पादक देश रूस और यूक्रेन के बीच अभी भी युद्ध जारी है। जिससे आयात महंगा होगा और घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतें एक बार फिर महंगी होगी।