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बिहार में आग से बढ़ी परेशानी, कहीं घर जल रहे, तो कहीं खलिहान

पटना। बिहार में चल रही पछुआ हवा और तेज गर्मी के बीच आग लगने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। पटना सहित राज्य के लगभग सभी जिलों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। इस बीच, हालांकि आग लगने की घटनाओं में कमी और होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सरकारी उपाय भी किए जा रहे हैं, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहे हैं। आपदा विभाग के आंकडों को अगर सच मानें तो राज्य में इस साल एक हजार से अधिक आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं।

वैसे, बिहार में आग लगने की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकडों के मुताबिक पिछले वर्ष राज्य में आग लगने की घटनाओं से 83 लोगों की मौत हुई थी जबकि 2021 में 54 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसी प्रकार 2020 में 28 लोग आग लगने की घटनाओं के भेंट चढ़ गए थे। आंकडों पर गौर करें तो आग लगने की घटनाओं में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस साल राज्य में अब तक 15 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल जो स्थिति बनी हुई है, उसमें प्रतिदिन कहीं न कहीं से आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें फसल, मकान, पशुधन मिलाकर लोगों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।

राज्य में 1000 से अधिक घटनाएं सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हुई हैं, लेकिन कई घटनाएं ऐसी भी होंगी जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई। जो घटनाएं दर्ज हुई हैं, दसमें से अधिक घटनाएं मार्च और अप्रैल महीने में घटी हैं। बिहार के जिलों में दरभंगा में अब तक 125 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं जबकि समस्तीपुर में 115 से अधिक। आग लगने की घटनाओं के कारणों के विषय में बताया जाता है कि शॉर्ट सर्किट से आग लगने की घटनाएं तो होती ही हैं गेहूं तैयार करने के दौरान थ्रेसर से निकली चिंगारी से भी आग लगती है। इसके अलावे खेतों में लगी गेहूं की फसल में भी एक चिंगारी से आग फैल जाती है और बड़े भूभाग में लगी फसल नष्ट हो जाती है।

वैसे, ग्रामीण पराली जलाने के दौरान भी आग लगने की घटनाओं को कारण मानते हैं। औरंगाबाद जिले में पिछले 10 दिनो में 40 घटनाएं घट चुकी हैं। लोगों को कहना है कि चल रही पछुआ हवा आग लगने के बाद घी का काम करती है।
इधर, अग्निशमन अधिकारियों के मुताबिक, गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाओं में 40 से 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाती है, जिसमें कई तरह के कारणों के अलावे जलावन पर खाना पकाना भी एक कारण है। खाना बनाने के बाद चूल्हे में छोड़ी गई चिंगारी भी दावानल का रूप ले लेती है।

अधिकारी बताते हैं कि अग्निशमन सेवा सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसके तहत लोगों को आग से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। इधर, बिहार राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने गर्मी के दिनों में आग लगने की घटना से बचाव को लेकर सभी विद्युत अंचल को ग्रामीण इलाकों में लटके तारों को दुरूस्त करने के निर्देश दिए हैं। कंपनी के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार कहते हैं कि बिजली चोरी के कारण भी आग लगने की घटनाएं होती हैं। उन्होंने भी माना की गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

इधर, पटना जिला अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार कहते हैं कि विभाग का प्रयास होता है कि आग लगने की घटना की सूचना के बाद कम से कम समय में वाहन पहुंच जाए। इसको लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।  आधुनिकीकरण के भी लगातार प्रयास हो रहे हैं। वर्तमान में पटना में 45 बड़ी और 40 छोटे दमकल की गाडिय़ों के साथ उंचे भवनों में आग बुझाने के तीन हाइड्रोलिक प्लेटफार्म हैं।

अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में अग्निशमन महकमा के पास छोटी, बड़ी और एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म जैसी करीब 700 गाडिय़ां मौजूद हैं। इन गाडिय़ों की तैनाती जिला स्तर से लेकर मुख्यालय तक में की गई है। जरूरत के हिसाब से हालांकि इनकी संख्या कम है। बताया जाता है कि राज्य के कई ऐसे थाने हैं, जहां आज भी दमकल गाडिय़ां उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में घटना होने पर काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

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