भारी हिमपात से नलपल्यु से दो किमी पीछे टूटा ग्लेशियर, बर्फ जमा होने से गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग बंद
धारचूला। उच्च हिमालय में हो रही भारी हिमपात से नलपल्यु से दो किमी पीछे खनला ग्लेशियर टूट गया है। ग्लेशियर की बर्फ गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग पर जमा होने से मार्ग बंद हो गया है। उच्च हिमालय आने जाने वाले वाहन फंस गए हैं। उच्च हिमालय में भारी हिमपात के चलते ग्लेशियरों के खिसकने का सिलसिला जारी हो चुका है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर नपलच्यु से दो किमी पीछे गणेश नाले के पास खनला ग्लेशियर टूटा और टूटा ग्लेशियर सीधे तवाघाट-लिपुलेख मार्ग पर गिरा। गनीमत रही कि जिस समय ग्लेशियर टूटा उस समय सड़क पर गणेश नाला के पास से कोई वाहन नहीं गुजर रहा था अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। प्रशासन ने मौसम की चेतावनी को देखते हुए तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फीले तूफान आने की चेतावनी दी है।
मार्ग बंद होने से उच्च हिमालय आने जाने वाले वाहन फंसे हैं। धारचूला से गुंजी जाने वाले वाहन छियालेख और गुंजी से धारचूला आने वाले वाहन मौेके से गुंजी लौट चुके हैं। उच्च हिमालय में शीतकाल जैसे हालात बन चुके हैं। बुधवार रात्रि से ही भारी हिमपात हो रहा है। मुनस्यारी के निकट हंसलिंग पहाड़ के मध्य तक बर्फ की चादर बिछ चुकी है। आदि कैलास मार्ग पर स्थित कुटी गांव में डेढ़ फीट हिमपात हो चुका है। गुंजी, नाबी, रोंगकोंग, नपलच्यु, गर्ब्यांग और छियालेख में आधा फीट से अधिक हिमपात हो चुका है। दारमा में भी हिमपात जारी है। मुनस्यारी की जोहार घाटी में मिलम सहित अन्य स्थानों पर हिमपात जारी है। मुनस्यारी में वर्षा और ओलावृष्टि हुई है। बेरीनाग क्षेत्र में भी वर्षा के साथ ओलावृष्टि हुई।
सीमांत में मौसम का मिजाज बिगड़ा है। सुबह से ही आसमान बादलों से घिरा रहा। निचले इलाकों में दिन में धूप-छांव का खेल चलता रहा। वहीं बेरीनाग में दोपहर बाद वर्षा हुई। इस दौरान हल्की ओलावृष्टि भी हुई। मुनस्यारी में बीती रात्रि से ही वर्षा, ओलावृष्टि हो रही है। जिसके चलते मुनस्यारी के तापमान में गिरावट आई है। न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। तहसील के अन्य क्षेत्रों में भी वर्षा हुई।
धारचूला से प्राप्त सूचना के अनुसार उच्च हिमालयी व्यास घाटी में कैलास मानसेरावर यात्रा मार्ग छियालेख से लिपुलेख तक बर्फ से पट चुका है। नावीढांग में डेढ़ फीट हिमपात हो चुका है। कालापानी में भी लगभग एक फीट के आसपास हिमपात होने की सूचना है। गुंजी, नाबी, छियालेख, नपलच्यु, रोंगकोंग में आधा फीट कुटी गांव में डेढ़ फीट हिमपात हो चुका है। सूचना के अनुसार हिमपात जारी है। दारमा घाटी में भी हिमपात जारी है। नेपाल सीमा पर स्थित जौलजीबी में भी अपराह्न भारी वर्षा और ओलावृष्टि हुई है। जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में हल्के बादल छाए हैं और हवाएं चलने से तापमान में कमी आई है।
तहसील डीडीहाट के नेपाल सीमा से लगे तल्लाबगड़ क्षेत्र में भारी ओलावृष्टि हुई। ओलावृष्टि से फसलों लेकर फलों को नुकसान हुआ है। इस वर्ष शीतकाल में सूखे के चलते पहले की फसल बर्बाद हो गई थी बची खुची फसल ओलों की भेंट चढ़ चुकी है। काली नदी घाटी स्थित तल्लाबगड़ जिले के प्रमुख उपजाऊ क्षेत्रों में एक है। यहां पर आम की पैदावार भी काफी अधिक होती है। इस बार आम की बौर भी अधिक आयी है। ओलावृष्टि से आम की बौर को भी भारी नुकसान हुआ और साग, सब्जी नष्ट हो चुकी है। उधर धारचूला में भी तेज वर्षा हुई।
पर्वतीय क्षेत्रों में गुरुवार को बारिश और ओलावृष्टि हुई है। मौसम का मिजाज बदलने से तराई-भाबर क्षेत्र में पड़ रही प्रचंड गर्मी से थोड़ी राहत मिली है। हल्द्वानी और आसपास के इलाकों में दिन के पारे में 1.5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई है। गुरुवार को अधिकतम तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे आने वाले दिनों में भी गर्मी से थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।हल्द्वानी और आसपास के इलाकों में गुरुवार सुबह के समय बादल छाए हुए थे।
दिन चढ़ने के साथ मौसम साफ हुआ, लेकिन अन्य दिनों की अपेक्षा कम गर्मी का अहसास किया गया। साथ ही पहाड़ों में हुई बारिश के चलते हल्द्वानी और आसपास के इलाकों में ठंडी हवाएं भी चलीं। इधर, मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार 24 अप्रैल तक पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना जताई गई हैं। हालांकि, मैदानी इलाकों में मौसम शुष्क बना रह सकता है। लेकिन पहाड़ों में बारिश होने का प्रभाव तराई-भाबर के इलाकों में देखा जा सकता है।