अंतर्राष्ट्रीय

दक्षिण कोरिया 2024-25 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का बना सदस्य

सियोल। दक्षिण कोरिया को दो साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है। इससे उसे उत्तर कोरियाई मुद्दे और अन्य वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों को विश्व निकाय में उठाने के लिए अपनी पैठ बढ़ाने का अवसर मिलेगा। एशिया में एकमात्र उम्मीदवार राष्ट्र के रूप में दक्षिण कोरिया को मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई वोटिंग में चुना गया। उसे इससे पहले 2013-14 में यूएनएससी में जगह मिली थी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान 192 सदस्य राष्ट्रों में से 180 ने उसके पक्ष में मत दिया। यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, चीन, फ्रांस, यूके और रूस  तथा 10 अस्थायी सदस्य शामिल हैं जिनका चयन दो-दो साल के लिए होता है। वर्तमान में अस्थायी सदस्य अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), स्विट्जरलैंड, इक्वाडोर, जापान, माल्टा और मोजाम्बिक हैं।

अल्जीरिया, गुयाना, सिएरा लियोन और स्लोवेनिया सहित पांच नव-निर्वाचित देश जनवरी 2024 में अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना और यूएई के स्थान पर यूएनएससी में शामिल होंगे। एक नए अस्थायी सदस्य के रूप में, दक्षिण कोरिया से प्योंगयांग के बढ़ते उकसावे के मद्देनजर अपनी आवाज बुलंद करने और अमेरिका और जापान के साथ अपने त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की उम्मीद है, हालांकि इसकी सीमाएं हो सकती हैं क्योंकि इसके पास कोई वीटो शक्ति नहीं है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया कि दक्षिण कोरिया के अगले साल जून में परिषद का अध्यक्ष बनने की संभावना है।

यूएनएससी का प्रत्येक सदस्य देशों के वणार्नुक्रम के अनुसार एक महीने के लिए अध्यक्ष पद ग्रहण करता है। मंत्रालय ने सुरक्षा, शांति व्यवस्था और महिलाओं के साथ-साथ साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे नए खतरों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा का नेतृत्व करने के प्रयासों का संकल्प लिया है। यह दक्षिण कोरिया तीसरी बार यूएनएससी का अस्थायी सदस्य चुना गया है। पहली बार उसे 1996-97 की अवधि के दौरान चुना गया था। चुनाव ऐसे समय में हुआ है जब उत्तर कोरिया ने हाल ही में अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के विकास में तेजी लाई है।

पिछले सप्ताह, उत्तर ने एक रॉकेट लांच किया था जिसे उसने सेटेलाइट लॉन्चर बताया था। वहीं, अमेरिका और अन्य देशों ने इसे बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किसी भी लॉन्च पर प्रतिबंध लगाने वाले यूएनएससी प्रस्तावों का उल्लंघन बताते हुए इसकी निंदा की थी।

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