उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाईन पंजीकरण की अनिवार्यता पर चारधाम होटल एसोसिएशन ने खड़े किये सवाल, सीएम धामी से की कई मांगे

देहरादून। राजधानी देहरादून स्थित प्रेस क्लब में चारधाम होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता की। जिसमें चारधाम यात्रा को लेकर सरकार द्वारा की जा रही तैयारियों पर सवाल खड़े करने के साथ सुझाव दिये। जैसा कि सरकार द्वारा चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाईन पंजीकरण की अनिवार्यता एवं चारधाम में संख्या बल की बाध्यता रखी गई है। इसको समाप्त करने के लिए एक प्रेस वार्ता संगठन द्वारा की जा रही है। चारधाम होटल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाईन पंजीकरण की अनिवार्यता समाप्त हो। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवाता को सोबन सिंह राणा, अध्यक्ष-यमुनोत्री, शैलेन्द्र सिंह मटूड़ा अध्यक्ष-गंगाघाटी, प्रेम गोस्वामी, अध्यक्ष-केदारनाथ राजेश मेहता अध्यक्ष-बद्रीनाथ ने संबोधित किया। इस दौरान चारधाम होटल एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

चारधाम होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा चारधामों में आने वाले श्रद्धालुओं की सीमित संख्या बल की बाध्यता समाप्त हो। पूर्व की तरह यथावत यात्रा का संचालन किया जाये। अगर आपके द्वारा पंजीकरण करवाना है तो चारोधामों के प्रथम पड़ाव में पंजीकरण की व्यवस्था हो ताकि श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। भारतवर्ष के किसी भी राज्य में धार्मिक स्थलों व पर्यटक स्थलों पर ऑनलाईन पंजीकरण व सीमित संख्या नहीं है। लाखों लोग एक दिन में दर्शन कर सकते हैं तो चारधाम पर क्यों नहीं। पूर्व में जो बायोमैट्रिक सिस्टम को लागू कर यात्रा मार्गों के मुख्य पड़ाव / बैरियर पर ऑफलाईन व्यवस्था हो ।

चारधाम होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा हरिद्वार, ऋषिकेश में एक बार वाहनों के ट्रिप कार्ड व ग्रीन कार्ड बन जाने के उपरान्त बैरियरों पर पुलिस प्रशासन द्वारा यात्रियों को अनावश्यक न रोका जाए। दिनांक 21 फरवरी 2023 से केदारनाथ व बद्रीनाथ के ऑनलाईन पंजीकरण प्रारम्भ हो चुके है किन्तु गंगोत्री व यमुनोत्री के लिए ऑनलाईन पंजीकरण शुरू नहीं हुए है जबकि गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीय के शुभअवसर पर 22 अप्रैल 2023 को खुलेंगे किन्तु सरकार ने अभी तक ऑनलाईन पोर्टल में पंजीकरण की शुरूआत नहीं की है जो कि गलत है। संगठन की उपरोक्त मांगों पर सरकार द्वारा गम्भीरता से विचार-विमर्श न किया गया तो चारो धामों में सभी संगठनों के द्वारा सरकार के खिलाफ एक विशाल जनआन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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